स्वतंत्रता संग्राम के सिलसिले में कारावास बन्दियो के साथ व्यवहार और जेल की अमानवीय परिस्थितियों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने ये निश्चय कर लिया था कि अवसर प्राप्त होते ही वे जेलों के सुधार की ओर तत्काल ध्यान देगे। 1937 में प्रदेश सरकार के पदारुढ़ होते ही इस दिशा में कदम उठाये गए और जेलों की दशाओं में अभूतपूर्व सुधार किये गए। बन्दियो का सुधार करके उन्हें अच्छा नागरिक बनाने के लिए उपचार सेवाएं प्रारम्भ की गयी और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेशीय अपराध निरोधक समिति का गठन सन् 1938 में किया। समिति उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संरक्षित एवं जेल मैनुअल के अन्तर्गत कार्यरत है। समिति के मुख्य संरक्षक महामहिम राज्यपाल, संरक्षक उत्तर प्रदेश सरकार के सभी मंत्रीगण एवं प्रादेशिक सरकार के समाज कल्याण मंत्री, समिति के पदेन अध्यक्ष होते है ।

जिस प्रकार अपराध की कोई परिभाषा ऐसी नहीं हो सकती जो हर समय हर स्थान पर लागू हो सके इसी प्रकार अपराध निरोध का कार्यक्रम भी हर समय व हर स्थान के लिए एक नहीं हो सकता। अपराध सीमित नहीं है तथा अपराध निरोध का कार्य क्षेत्र भी सीमित नहीं है।

हमारी कार्य विधि जनपद, तहसील, ब्लाक, थाना तथा मोहल्ला स्तर पर अपराध निरोधक कमेटियों का निर्माण करके उनके द्वारा अपराध के विरु प्रचार करना, समाज में ऐसी स्थिति लाना जिस में अपराध के प्रति घृणा उत्पन्न हो तथा अपराध करने के अवसर कम से कम हों। अधिक अपराध ग्रस्त स्थानों की स्थिति का अध्ययन करके तथा आम तौर पर होने वाले अपराधों के कारण पता लगा कर उनमें फसे हुए अपराधियों के सुधार का प्रयत्न करना, अपराध निरोध विचार गोष्ठियों का आयोजन करना तथा शासन व जनता को अपराध निरोध सम्बन्धी सुझाव देना है।

ये इतना महान कार्य है जो केवल शासन या केवल समाजसेवी संस्थाओं द्वारा नहीं हो सकता इसके लिए सुधारक शासन प्रबन्ध तथा समाजसेवी संस्थाओं का गहरा सहयोग बहुत आवश्यक है। पुलिस, मजिस्ट्रेसी, बन्दी गृह तथा प्रोवेशन जो सुधारक शासन प्रबन्ध के अंग है। इनमें भी आपस में सुधार की दष्टिकोण से तालमेल होना चाहिए। शासन तथा समाज दोनों पर अपराध विहीन व्यवस्था को बनाए रखने का दायित्व है इसीलिए शासन के इन अंगों का समाजसेवी संस्थाओं के कार्यक्रम में समन्वय होना जरूरी है। प्रदेश स्तर से मुहल्ला स्तर तक ऽ विभिन्न स्थानों पर सुधार शासन प्रबन्ध तथा समाज सेवकों को समय समय पर विचार गोष्ठियां बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

अपराध निरोधक समिति स्वयं तथा जनपदों में स्थापित अपनी अपराध निरोधक कमेटियों के द्वारा अपराध निरोध के पुनीत कार्य को, जिसमे मुक्त बन्दयों तथा गिरे हुए स्त्री पुरुषों का पुनर्वास व उत्थान भी शामिल है, करती है।

समिति के उद्देश्य तो बहुत हैं जो विधान में विस्तार से दिए गए हैं जिन सबका अर्थ अपराध विहीन समाज की स्थापना है वास्तव में पूर्णतः अपराध विहीन समाज तो कभी नहीं रहा और न कभी रह सकता है परन्तु हमारे प्रयत्नों से अपराधो की जितनी भी कमी हो सके उतनी हमारे लक्ष्य की सफलता है।

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